gajal hindi - प्यार में breakup गजल हिंदी

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मेरी ग़ज़ल में छुपे दर्द का इशारा है। 
मेरी ग़ज़ल ही मेरे दर्द का सहारा है

तू बहुत दूर है लेकिन मेरे दिल में बसी
 तेरी बाँहों में मेरी चाहों का किनारा है

रोज़ देखे बिना मिलता नहीं है चैन मुझे 
चाँद देखे बिना भटका मेरा सितारा है

शब-ए-विसाल का ख़याल रोज़ आता है
 दिन हो या रात तेरा ही नाम पुकारा है

समाज से कहो कभी प्रेम नगर में झाँके
 विरह की आग में हर एक पल गुज़ारा है
जब कभी दिल से दिल मिलता है
हाथ में तब गुलाब मिलता है।

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मुस्कुराहट सजाती चेहरा
प्यार तब बे हिसाब मिलता है।

जुल्फ से खेलती है उंगलियां
चांद भी बे नकाब मिलता है।

झुकी नज़र इशारे करती है
खामोशी में जवाब मिलता है।

जमाना उंगलियां उठता है
सीने में इंकलाब मिलता है।

कदम रुकते नहीं मंज़िल से पहले
मुसफिर कामयाब मिलता है।


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तेरे रिश्ते की बात हुई 
यहाँ अश्कों की बरसात हुई

वहाँ फैली रुपहली चमक धमक
 यहाँ शाम से पहले रात हुई

सब गौरकरे हालत पे मेरी
आशिक की जंग में मात हुई

बारात गली तक आ पहुँची 
बादल से मेरी मुलाक़ात हुई

मेरे शहर में चर्चे होने लगे 
मेरी कितनी औकात हुई

जा डूबे सारे मंसूबे 
एक अजब यहाँ वारदात हुई।

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नाराज हूँ में जिंदगानी से
परेशाँ हूँ कड़ी निगरानी से

इतना मेरा नाता लोगों से 
जैसे जाग का रिश्ता पानी से

अब शुभचिंतक मिलते हैं कम 
बदकार मिलें आसानी से

इस घर में चैन का नाम नहीं
 लड़ती हूँ जब वीरानी से

इस दिल में उठते बलवले
 माँगा था चैन जवानी से

अपने को रखना है महफूज़ 
दुनिया की कारिस्तानी से।


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मिले आज़ाद हवाओं का सुख 
पिया की फैली बाँहों का सुख

प्रेम रंग में भीगे तन मन 
लाज से झुकी निगाहों का सुख

मन्नत मांगे आज ख़ुदा से
मिले सभी दरगाहों का सुख

सावन रुत में याद पिया की 
चंचल चपल घटाओं का सुख

मंजिल मिली है चाह खिली है 
मिलेगा नयी दिशाओं का सुख।

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मायूसियों के दायरे बढ़ते चले गए
 ये हाथ टूटी टहनी पकड़ते चले गए

किस्मत का लिखा कौन मिटा पाया है बोलो
हाथों की लकीरों से हम लड़ते चले गए

फिर से नए सफर में मुसाफिर निकल गया 
ख़्वाबों के खेमे जड़ से उखड़ते चले गए

जब भी मिले तो हम ने गले से लगा लिया
दुनिया के पैंतरे हमें जकड़ते चले गए 

उन के दिलों में खोट भरी थी कगार तक
हम उन का भोला चेहरा पढ़ते चले गए।

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बदल के करवटें रातें यहाँ गुज़ारी हैं 
धुआं-धुआँ है हर घड़ी हम पे भारी है

ज़िंदगी ने अब अपनी अगली चाल चल दी है
 धड़कनें सुस्त है पर साँस अब भी जारी है

सिलवटे वक़्त की चादर ये साफ़ दिखती है 
थोड़ी तुम्हारी और कुछ मेरी अदाकारी है

थके बदन को उठा कर चलें कहाँ चलें 
इश्क़ है या कोई संजीदा सी बीमारी है।

लगा के आँखों पे चश्मा छुपा लिए आँसू 
गमों से जूझना अपने आप में फनकारी है

चलाना होगा हमें काम अब टूटे दिल से 
दफ्न यादें हैं फिर से जीने की तैयारी है।

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हर कदम पर बड़ी दुश्वारी है
 हाँ मुझे इश्क की बीमारी है

छुप के मिलना कहाँ की रीत है 
लोग कहते हैं दुनियादारी है

दिल में बातें दबाये बैठे हैं 
राज़ का बोझ दिल पे भारी है

टटोलते है से दुनिया वाले 
आँख इन की बड़ी शिकारी है।

सच को सुनने की हिम्मत नहीं 
झूठ में डूबी अदाकारी है

मुझे मंज़िल पे पहुँचा दे मौला
  जिंदगी का सफर जारी है।

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अपनी उल्झन को बढ़ाने की जरूरत क्या है
छोड़ना है तो बहाने की जरूरत क्या है।

लग चुकी आग तो लाज़िम है धुआँ उद्वेगा
दर्द को दिल में छुपाने की जरूरत क्या है।

उम्र भर रहना है ताबीर से गर दूर तुम्हें
फिर मेरे ख्वाब में आने की ज़रूरत क्या है।

अजनबी रंग उलकता हो अगर आँखों से
उनसे फिर हाथ मिलाने की जरूरत क्या है।

आज बैठे हैं तेरे पास कई दोस्त नए
अब तुझे दोस्त पुराने की जरूरत क्या है।

साथ रहते हो मगर साथ नहीं रहते हो
ऐसे रिश्ते को निभाने की ज़रूरत क्या है।

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अब क्या बताएं टूटे हैं कितने कहाँ से हम
 खुद को समेटते है यहाँ से वहां से हम

क्या जाने किस जहाँ में मिलेगा हम सुकूँ
 नाराज है जमीं से खफा आसमाँ से हम 

अब तो शराब ही से बुझाने लगे हैं प्यास 
लेने लगे हैं काम यकीं का गूमरो से हम

लेकिन हमारी आँखों ने कुछ और कह दिया
 कुछ और कहते रह गए अपनी जवां से हम

आईने से उलझता है जब भी हमारा अक्स
 हट जाते हैं बचा के नज़र दरमियाँ से हम

मिलते नहीं है अपनी कहानी में हम कहीं 
गायब हुए हैं जबसे तेरी दास्ताँ से हमा

गम बिक रहे थे मेले में खुशियों के नाम पर 
मायूस हो के लौटे हैं हर इक दुर्कों से हम।

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तुम से आँखें मिली जहान मिला
 जैसे करती को बादबान मिला

तेरे आँचल की छाँव में सुख चैन
 भटकते राही को मकान मिला

कानों में अमृत सी तेरी आहट
 मेरी ज़मीं को आसमान मिला

जब भी आँखों को मूंद कर बैठी 
अधीर दिल को तेरा ध्यान मिला

तुझ से दूरी ना सही जाती अब
 मेरे सिरहाने तेरा निशान मिला।

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किस का सपना टूटा है 
किस का वादा झूठा है

किस को रात मनाती है। 
किस का साजन रूठा है

करवट कौन बदलता है। 
किसने चैन को लूटा है।

कैसी खामोशी है। 
किस का कंगना टूटा हैं।

किस के नैना बरसे है 
किसका साथी छूटा है

मेरी राम कहानी का
 हर एक पात्र ही झूठा है।

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बदला हुआ मौसम है मेरे दिल के बारा का 
जब दिल में हो अँधेरा क्या करें चराग का

सुर ताल खो गए मेरे जाने अब किस गली
 अब मंच पर गायन नहीं कल्यान राग का

मुझ को लपेट लेंगी ये विरह की आंधियों
 पर अंत नहीं होगा मेरे दिल की आग का

मेरे दिल को ना बहलाओ ना सवाल तुम करो
एक तरफ़ा फ़ैसला है जीवन के भाग का

तुम पे ना कोई तोहमत, इल्ज़ाम ना कोई
क्यूं हो रहा है चर्चा मेरे आँचल के दाग़ का।

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दुनिया के बाज़ार में थोड़ा प्यार मिले
तपते बदन को सावन की बौछार मिले

चार पहर चक्की में पिसता मेरा बदन
सुस्ताने वाला कोई इतवार मिले

रोज किया सिंगार सजाया चेहरे को 
मेरी चाहत का सच्चा हक़दार मिले

रोज़ खड़ी खिड़की पे इन्तिज़ार में
आँख खुले तो प्यार का बस दीदार मिले

जिस की छवि अब बैठ गयी है इस दिल में 
खुद को उस के वचन का एतिबार मिले।

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उस ने अपने दिल का चैन गबाया होगा
 रेत पे लिख के मेरा नाम मिटाया होगा

ये सच बात है प्यार में मेरे अमीरी थी 
उस ने कीमती खतों को कहीं सजाया होगा।

नए घर के नए परदे और नयी चमक धमक
 माजी पे मर्जी से पर्दा गिराया होगा

'खाली हाथ लौट आया मेरे घर कबूतर
 मेरा संदेसा उस के काम ना आया होगा

बुझे चराग़ शहर के शाम भी डूब गयी 
सब से छुप कर आँसू तो बहाया होगा।

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शाम से दिल मेरा भारी है
 रात से अब मेरी यारी है

मुसाफिर थक गया हारा नहीं
 मेरा लम्बा सफर जारी है

कल ना जाने क्या रंग लाएगा
 दिल में रहती है बेक-करारी हैं 

नींद अब आंख चुरा रही है 
करवटे बदल के शब गुजारी है

ख्वाब आंखे दिखा रहे मुझको 
आज की रात बड़ी भारी हैं

कल निकलना नयी मंज़िल की ओर 
कंधों में नई जिम्मेदारी है।

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