मेरी मंजिल का रस्ता धुंधला है
गली में खाक उड़ा के क्या होगा
गली में खाक उड़ा के क्या होगा
मेरी सूरत से अब नफरत है उसे
शाम को बाल बना के क्या होगा
ना जाने कब दगा दे जाए किस्मत
दरगाह में सर झुका के क्या होगा
उसे भाती ना थी रंजिश की बातें
रात भर अश्क बहा के क्या होगा