Dard bhari Dard Bhari Gazal दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल

 मेरी मंजिल का रस्ता धुंधला है 
गली में खाक उड़ा के क्या होगा

मेरी सूरत से अब नफरत है उसे 
शाम को बाल बना के क्या होगा

ना जाने कब दगा दे जाए किस्मत
दरगाह में सर झुका के क्या होगा

उसे भाती ना थी रंजिश की बातें
रात भर अश्क बहा के क्या होगा

Dard bhari Dard Bhari Gazal दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल

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