Superhit Gazal Hindi सुपरहिट गजल हिंदी - खमोश लब है झुकी हैं पलकें दिलों में
Superhit Gazal Hindi सुपरहिट गजल हिंदी
सर को छुपाने को नए ठिकाने मिलें
आँखें खुले तो खुशी के ज़माने मिले
महफिल जमा होती रहे मेरे दर पे बारहा
जब भी गले मिलें तो मेरे यार पुराने मिलें
लिखता हूँ तेरा नाम मैं अब भी दीवारों पर
खोलूँ जो मैं संदूक खतों के खजाने मिलें
तेरी गली से नाता ना टूटे कभी मेरा
नज़रें मिलाने के हमें ताज़ा बहाने मिलें
जब शहर की गलियाँ भी मेरा साथ नहीं दें
उस पल मेरी किस्मत में नए आशियाने मिलें
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इरादा था कि मैं कुछ देर तूफाँ का मजा लेता
मगर बेचारे दरिया को उत्तर जाने की जल्दी थी।
मैं अपनी मुट्ठियों में कैद कर लेता ज़मीनों को
मगर मेरे कबीले को बिखर जाने की जल्दी थी।
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।
वो शाखों से जुदा होते हुए पत्तों पे हँसते थे
बड़े जिंदा नज़र थे जिनको मर जाने की जल्दी थी।
मैं साबित किस तरह करता कि हर आईना झूठा है
कई कमजर्फ चेहरों को उतर जाने की जल्दी थी।
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क्यों मुकरना महफ़िल में, पहचानने से
अच्छा है, हमें अनजान कर दो
नज़र लग जाती है, तारीफों से भी
अच्छा है,हमें बदनाम कर दो
मेरे फ़ायदे से, आपका नुकसान हो तो
अच्छा है, हमें कुर्बान कर दो
ढूंढ लेंगे खुशी, तकलीफ़ में भी
अच्छा है, हमें परेशान कर दो
भर गई जगह अगर ज़मीन पर
अच्छा है, हमें आसमान कर दो
किसी ने क्या खूब बोला है.
मुझे बस तेरा वो साथ चाहिए....
मुझे बस तेरा वो साथ चाहिए....
माना मेरे जिंदगी की शुरुआत तुझसे नहीं हुई.
पर उसके आखरी पल तक मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.
तेरे कंधे पर सर रख कर जो मेरे चेहरे पे मुस्कान आती हैं,
मुझे हीरे मोती नहीं, बस मेरी वो मुस्कान चाहिए.
साज शिनगर क्या सजाएंगे मुझे तेरे साथ सज जाती है
मेरी रूह भी मुझे बस तेरा वो साथ चाहिए.
यूँ जब एक लम्हो,मुस्कुरा कर देखते हो तुम मुझे, मिल
जाता है मुझे जहां, मुझे बस हमारा वो जहां चाहिए.
दिन महीने सालों के हिसाब नहीं आता मुझे, मुझे तो बस
हर पल में तेरा साथ चाहिए.
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सूरज सितारे चाँद मेरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे।
साँसों की तरह साथ रहे सारी जिंदगी
तुम ख्वाब से गए तो खयालात में रहे।
हर बूंद तीर बनके उतरती है रूह में
तन्हा मेरी तरह कोई बरसात में रहे
वो चाँद है तो होने का अपने सबूत दे
महमान बनके छत पे मेरे साथ में रहे.
हर रंग हर मिजाज़ में पाया है आपको
मौसम तमाम आपकी खिदमात में रहे
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खमोश लब है झुकी हैं पलकें दिलों में
उल्फत नई नई अभी तकल्लुफ है
गुफ्तगू अभी मुहब्बत नई नई है।
अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको
गुरुं मिलेगा। अभी तो धडकेगा दिल जियादा
अभी तो चाहत नई नई है।
जो खानदानी रईस है वो मिजाज रखते हैं
नर्म अपना तुम्हारा लहजा बता रहा है
तुम्हारी दौलत नई नई है।
जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे है
पहली सफ मे अभी से उड़ने लगे हवा में अभी
तो शोहरत नई नई है।
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मेरी पलकों पे तेरे ख्वाब सजा करते हैं
तेरे आते ही दिल में साज बजा करते हैं
तेरी पलकें खुल तो फूल आँखें खोल दें
तेरे जाने पे गुलशन भी गिला करते हैं
अब अंधेरा मेरी गलियों से दूर रहता है
तेरी यादों के सदा दीप जला करते हैं
तेरी जुल्फ़ों की बात हो रही गली गली
घने बादल भी तेरा कर्ज अदा करते हैं
तू पास हो तो खुदा की कमी महसूस ना हो
हम वो आशिक हैं जो बस तुम से वफ़ा करते हैं
अभी ना छोड़ के जाओ अभी तो शाम है
तुम्हारे आने से दिल को जरा आराम है
मेरे नाकाम सफर का बड़ा चर्चा होगा
हारे मुसाफिरों के जाने कितने नाम हैं
शाम साँचा में डूबी है बड़ी खामोश है
चार दीवारों में बजता मेरा कलाम है
शहर के लोग हैं मशगुल खींचातानी में
हमें मरने के सिवा और बड़े काम है
सुकून सब को अपने दायरों में मिलता है
रात की गोद में मिलता मुझे आराम है
जिन्हें आदत नहीं साथ की
उनके करीब जाते क्यों हो
जिन्हें प्यार से मतलब नही
उनसे उम्मीद लगाते क्यों हो
जो आज़ाद रहना चाहते हैं
उन्हें रिश्तों में उलझाते क्यों हो
जो थक चुके हैं मोहब्बत से
उन्हें फिर समझाते क्यों हो
ये दिल तुम्हारा है और ये
गलतियां भी तुम्हारी हैं
जिन्हें तुम्हारी जरूरत नही
उन्हें अपना बनाते क्यों हो
बदलते वक्त की रफ्तार देख
उठा पर्दा नया किरदार देख
कभी गाड़ी से निकल तू प्यारे
बिछा फुटपाथ पे ईमानदार देख
सब पे ऐसे ना भरोसा कर तू
बग़ल में छुपी हुई तलवार देख
कहीं एहसान में हक है छुपा
उन के एहसान की मिक़दार देख
किसी बद-कार ने भेजा है फूल
गुलों में लिपटा हुआ खार देख
मैं तेरे दर पे कब से बैठा हूँ
मेरी पलकों में बसा प्यार देख
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जवानी पढ़कर किताब में गुज़र गए
हसीन लम्हें ख़्वाब में गुज़र गए
खुलकर जीना उस बिन आया नहीं
वो सामने से हिज़ाब में गुज़र गए
दो पल की खुशियाँ मिली साथ उसके
हिज्र फ़क़त अज़ाब में गुज़र गए
इस क़दर था घेरा उसकी यादों ने
कि रात पीकर शराब में गुज़र गए
दर्द अपना इस जहाँ में समझे कौन
वक़्त कितने इसी हिसाब में गुज़र गए
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रुलाने के बाद मुझको, हंसाता भी बहुत है।
वो मेरा इश्क है मुझे याद आता भी बहुत है।
कभी कहता है कि रिश्ता, अब खत्म हो चुका है,
और जमाने में मुझे अपना बताता भी बहुत है।
वो भरता नही मांग में सिंदूर कभी लेकिन,
सुहाग की हर रस्म को निभाता भी बहुत है।
जिसने रखे थे कभी सोलह उपवास मेरी खातिर,
वो आजकल मुझसे पीछा छुड़ाता भी बहुत है।
मुझे देखने की खातिर जो तड़पता बहुत था,
अब जाने क्यों वो नज़रें, चुराता भी बहुत है।
हर बात पर जिसके कभी, निकल आते थे आसूं,
सुना है वो शख्स अब, मुस्कुराता भी बहुत है।
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कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं।
शब गुजार आया हूँ मस्जिद में के खाने में
मुझसे पूँछो न सवालात मुझे होश नहीं।
मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं।
आँसुओं और शराबों में गुजर है अब तो
मैंने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं।
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं।
मैंने बेहोशी के आलम में बका है क्या क्या
दिल पे लेना न कोई बात मुझे होश नहीं।
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सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा।
इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा।
हम भी दरिया है हमें अपना हुनर मालूम है।
जिस तरफ भी चल पडेंगें रास्ता हो जाएगा।
कितनी सच्चाई से मुझसे जिंदगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा।
मैं खुदा का नाम लेकर पी रहा हूं दोस्तों
जहर भी इसमें अगर होगा दवा हो जाएगा।
रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर
क्या खबर थी मुझसे वो इतना खफा हो जाएगा।
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जीवन हमारा खुशियों से सजाया है
हर मुश्किल से लड़ना सिखाया है
धूप, बारिश की उनको परवाह नहीं
हर दर्द हँस कर उन्होंने छुपाया है
हमारी खुशियाँ, हमारी भविष्य की ख़ातिर
अपने कर्तव्य को शिद्दत से निभाया है
बाप बूढ़ा हो जाए फिर भी फ़र्क़ नहीं
उनके बस होने से हिम्मत पाया है
जग में उससे खुशकिस्मत कौन होगा
जिसके सर पर पिता का साया है
कहीं और ही क्यों ईश्वर को ढूँढते हो
पिता के अंदर ही ईश्वर समाया है
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ख़ुदको इतना भी मत बचाया कर
चारिशें हों तो भीग जाया कर
काम ले कुछ हसीन होंटों से
बातों बातों में मुस्कुराया कर
चांद लाकर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर
धूप मायूस लौट जाती है
छत पे कपड़े सुखाने आया कर
कौन कहता है दिल मिलाने को
कम से कम हाथ तो मिलाया कर..
रात को हद से गुजरना होगा
चाँद को उतरना होगा
आँख में कजरा भरना होगा
शाम को सजना सेंवरना होगा
खुशबू को नस में बिखरना होगा
नजरों को जादू करना होगा
तेरी कलाई को धरना होगा
रात को और निखरना होगा
वादे से ना मुस्करना होगा
तुझे आगोश में भरना होगा
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