दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई    

उसने मुझे छोड़ दिया तो क्या हुआ... 

    मैंने भी तो छोड़ा था सारा ज़माना उसके लिए...

   गलतियां बहुत की हैं पर कभी इरादे ग़लत नहीं थे मेरे,

 अच्छा हुआ बड़ा जल्दी बदल गए तुम वरना

     मेरी उम्मीद बढ़ती ही जा रही थी...

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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ये बात सच है कि बादल आवारा होता है। 
मगर बुजुगों को बच्चों का सहारा होता है।

   जब अँधेरों में गुज़रती है चाँद की रातें 
   थका था तब सुबह का तारा होता है

बने ना ताजमहल फिर से ना दुनिया में कभी
बड़ी मुश्किल से यहाँ गरीबों का गुजारा होता है

  एक चिंगारी जला देती है बस्ती सारी 
अगर गैरों को आँधियों का सहारा होता है

  कली मासूम है खिलने दो इसे बाग़ में
बदलती रुत में मौसम का इशारा होता है।


दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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कहते हो आशिक़ हो सच्चे, झूठी कसमें खाते हो
रात को धोखा देते हो, दिन में भोले बन जाते हो

 नार अगल में, नार बगल में घर की नार सताते हो
छुट्टी सारी दुनिया को, दफ्तर के चक्कर खाते हो

नौकर-चाकर आगे पीछे घर में रौब जमाते हो
हूर परी के आगे भीगी बिल्ली तुम बन जाते हो।

गिरगिट भी घबराये कैसे रूप बदलते जाते हो
 शर्म-हया को बेचने वाले किस चक्की का खाते हो।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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कभी इस दर्द भरे दिल को भी क़रार आये
खिड़कियाँ खोलूँ तो मेरे कमरे में बहार आये

अधूरी प्यास लिए कब से भटकता ये दिल
कड़कती धूप को इस छाँद पे एतिवार आये

वक्त लेता है इम्तिहान हर घड़ी हर सु
पर किसी मोड़ पर मेरा भी मददगार आये

जमाने पर ना भरोसा रहा टूटे दिल को 
भरे जहाँ में कोई मेरा राजदार आये

   रात के साये बढ़ रहे हैं तेज कदमों से
 कभी पलकों पे ख्वाबों का कारोबार आये।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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उस के जुदा होने का लोगों में भला क्यूँ गम करूँ
 दूरियाँ मजबूरियाँ फिर आँखें अब क्यूँ नम करूँ

हाल टूटे दिल का कब तक लोग सुनते हैं भला
 रब से अब रहमत मिले, बातें दिल की कम करूँ

भूल जाता है ज़माना चार दिन के बाद सब
 फिर भी जाने राह चलतों पे शुबह हरदम करूँ

ग़म के सहरा में सुलग कर ख़्वाहिशें जल जाएँगी
  गर पड़े छीटे वफ़ा के उन का मैं वहम करूँ।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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रोने धोने से मुश्किल आसान नहीं होती 
मासों पर किस्मत मेहरबान नहीं होती

सपने पालो दिल उछालो लहरों से जूझो 
अरमानों की राह कभी सुनसान नहीं होती

दुनिया के बाज़ार में अपना रस्ता खुद ढूंढो
 भेडचाल से वीरों की पहचान नहीं होती

बच्चों और बुजुगों की इज्जत का ध्यान रहे
उन की सोच-समझ इतनी नादान नहीं होती

शेखी मार के शैख कभी दिल जीत नहीं पाए
सब को रौंद के बढ़ने में कोई शान नहीं होती।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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डूबा सूरज, सत पछी मेरा दिल घबराया है
 दिल से धुआँ उठता है वादी में कोहरा छाया है

दर-दर ठोकर खा कर जरमा रात को वापस आते हैं।
 उस के घर की खोज में हम ने अपना वक्त गंवाया है।

रात जवाँ पर मेरे दिल में खामोशी जा बैठी है।
हर आहट पे लगता है जैसे कि कोई आया है

टूटे दिल की वीणा से विरह का राग उमड़ता है
झूठा था वो बोला सपना दिल को ये समझाया है।

दिल के हर दरवाज़े पर अब लटकाए मैंने ताले
 जब जब उस की यादों ने मेरा दिल ललचाया है।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई


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तुम ने रस्ते बदले हैं पर अब भी साफ़ है 
मेरा दिल तेरी आँखों पर कोहरा है 
खोई है मेरी मंजिल

शक का कोई इलाज नहीं है कहते हैं 
सारे वाइज तिल का बना पहाड़ यहाँ ये
  समझाना लगता मुश्किल

रत्ती भर भी सच होता तो चेहरा कभी ना
    दिखलाता नफरत की आँधी के 
    आगे दिया को क्या होगा हासिल

कब यकीन का मौसम बदला कब आये पीले पत्ते
मैं अब भी वैसा हूँ पर ना रहा आज तेरे काबिल

यारों आओ जसन मनाओ देखो किस का टूटा दिल
 मेरे मन को रास ना आती बेगानों की ये महफिल।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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बाग़ के फूल मुस्कुराने लगे
 तुम मेरे इतने पास आने लगे

रास्ते तब आसान होने लगे 
साथ साथ जब क़दम बढ़ाने लगे

रात को कैसे सब पता चला
 तुम मेरे ख्वाबों में आने लगे

यादें दिन रात साथ देती है
 सपने जा मेरे सिरहाने लगे

झूठ मूठ में नाराज जब भी हुई
सच में तुम तब भी मनाने लगे

सुबह की चाय की चुस्की के संग 
 दिल के अखबार में छाने लगे।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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वो सामने है मगर दिल से दूर रहते हैं। 
ना जाने कौन से नशे में चूर रहते हैं

चार दीवारों में उठती दीवार दिखती है 
अहम् की आड़ में वो बेकसूर रहते हैं

मेरी आँखों में कोई दर्द ना दिखता जिन को
पराये सपनों के हर दम सुरूर रहते हैं

अगर ख्वाहिश हो तो रोशन मकान हो जाये। 
पर उन की आँखों में अनदेखे नूर रहते हैं

मुझे ठोकर ना लगे राह तू दिखा मौला
बस अपनी दुनिया में मेरे हुजूर रहते हैं।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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बड़ा बदला लगे है तेरा शहर 
ख़ुशी को ढूँढने निकली है शहर 

खिड़कियों लोग बंद रखते हैं 
भीड़ है पर बड़ी सूनी है डगर

लोगों के हाथों में ईंटें पत्थर 
बड़ा नाजुक है ये शीशे का नगर

सर के पीछे भी लगी हैं आँखे 
राह चलतों से अब लगता है डर

सब किनारे की खोज में निकले
है उठती लहरें या कोई भंवर

मुसाफिर थक के यूँ ना बैठ यहाँ 
अभी शुरू हुआ है लम्बा सार।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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ये कैसा साथ है, अजनबी हाथ है
 अधूरे सपने हैं, अधूरी रात है....

शाम मजबूर है, सवेरा दूर है
 लबों पे थम रही फिर कोई बात है....

सपनों में तुम नहीं, बाहों में गुम नहीं
टूटते तारों की सजी बारात है....

हँसी बे-जान है. मुझे अरमान है
 किनारे दूर हैं. डूबे जज्बात हैं

थक गए हैं क़दम है सीने में घुटन 
बिना मौसम की ये कोई बरसात है।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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वफ़ा का कोई तो जवाब मिले 
मोहब्बत का कभी हिसाब मिले

शाम होते ही बस तेरा खयाल 
दिल को बहलाने को शराब मिले

माज़ी के पन्ने जब भी पलटू मैं 
मेरी किताब में तेरा गुलाब मिले

थक के जब मूंद तू जिद्दी आँखें
अजाब में बस तेरा ही ख्वाब मिले

गम भुलाने को भटकता आशिक
 गम के सहरा में उसे जनाब मिले

खेल किस्मत का भी अजीब है
 किसे शहाब किसे शबाब मिले।

दर्द भरी दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में लिखी हुई

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