हम गज़ल मे तेरा चर्चा नहीं होने देते
तेरी यादों को भी रुसवा नहीं होने देते।
तेरी यादों को भी रुसवा नहीं होने देते।
कुछ हम खुद भी नहीं चाहते शोहरतें अपनी
और कुछ लोग भी ऐसा नहीं होने देते।
अजमतें अपने चरागों की बचाने के लिए
हम किसी घर में उजाला नहीं होने देते।
जिक्र करते हैं तेरा नाम नहीं लेते हैं
हम समंदर को जज़ीरा नहीं होने देते।
मुझको थकने नहीं देता ये जरूरत का
पहाड़ मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते।
**********************
इस भरी दुनिया में बस थोड़ी कमी है प्यार की
"दोस्त बेशुमार पर कमी एतिबार की
चार दीवारों और छत से थोड़ी हिफाजत मिले
खलल जब रिश्तों में हो, कमी हो परिवार की
कोई तकता है तेरी राह सूनी आँखों से
उसके जीवन में लगे कमी सायादार की
मेरी दरिया दिली तेरे काम तो आयी कभी
मैं ना चाहूँ तू बिताये जिंदगी उधार की
ना तो मैं कमजोर है और ना ही भोला भाला हूँ
मुझ को पर आदत नहीं बेकार के अधिकार की
काफी गुजर गयी है अब बाकी भी गुजर जाएगी.
मुझको को रहे तलाश इस जहाँ में जाँ निसार की
***************************
हो जाएगी जब तुमसे शनासाई ज़रा और
बढ़ जाएगी शायद मेरी तनहाई जरा और।
क्यों खुल गए लोगों पे मेरी जान के असरार
ऐ काश कि होती मेरी गहराई जरा और ।
फिर हाथ पे जख्मों के निशा गिन न सकोगे
ये उलझी हुई डोर जो सुलझाई ज़रा और ।
तरदीद तो कर सकता था फैलेगी मगर बात
इस तौर भी होगी तेरी रुसवाई जरा और ।
है दीप तेरी याद का रोशन अभी दिल में
ये खौफ है लेकिन जो हवा आई ज़रा और।
बढ़ जाएंगे कुछ और सह बेचने वाले
हो जाए अगर शहर में महंगाई जरा और
इस डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन ले
कुछ देर को बचने दो ये शहनाई ज़रा और।
************************
ये कैसा साथ है अजनबी हाथ है
अधूरे सपने हैं अधूरी रात है।
शाम मजबूर है, सवेरा दूर है
लबों पे थम रही फिर कोई बात है।
सपनों में तुम नहीं, बाहों में गुम नहीं
टूटते तारों की सजी बारात है।
हँसी बे-जान है. मुझे अरमान है
किनारे दूर हैं. डूबे जज्बात हैं
थक गए हैं क़दम है सीने में घुटन
बिना मौसम की ये कोई बरसात है।
*********************
बिन तेरे ये घर तो घर नहीं लगता पर
अँधेरों से हमें कोई डर नहीं लगता
चलें कदम और साँस भी कायम है अभी
भीड़-भाड़ लगे अब सफर नहीं लगता
फूल खिलते हैं और रातों को चाँद उगता है
दिल में कोहरा हो तो फिर सहर नहीं लगता
मेरी पहचान थी सब से दुआ सलाम थी
वक्त की बात ये अपना शहर नहीं लगता
आजकल वक्त भी लेता है मेरा इम्तिहान
खेल लहरों का है मुझ को भँवर नहीं लगता
*********************
Tags:
Gazal shayari hindi