Gazal Hindi
दुनिया है शातिर, भला तुम कैसे पर फैला ओगे
कब तक खामोशी का चोला पहन के काम चलाओगे
कब तक खामोशी का चोला पहन के काम चलाओगे
आम तौर पर दुनिया वाले उल्लू सीधा करते हैं कब
तक अपने कौंधों पर लाचारी लादे जाओगे
अपने ही हाथों में चामो आने वाले कल की डोर कब
तक बे-मानी बलिदानी का तुम तिलक लगाओगे
जिल्लत सहना सीखा तुम ने पैरों पे चलना सीखो
सीना तान के ना-इसाफ़ी से कब आँख मिलाओगे
जिन का तेरे मन से रिश्ता सालों में ना बन पाया
उन की जी हुजूरी में तुम कब तक वक्त गँवाओगे
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कोई लम्हा पलट के आया है
एक आँसू पलक पे आया है
एक ख्वाब यहाँ या कहीं गया
कोई यही भटक के आया है
किस घर से हँसी की लय आयी
कोई सावन झटक के आया है।
किस की सूरत को नज़र लगी
कोई शीशा चटख के आया है।
किस की यादों का मजमा है
कोई नगमा अटक के आया है।
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मेहनत करने वालों को फल मिलता है।
आज में जीने वालों को कल मिलता है
कर्म करते आये हैं सालों से तपस्या
कठिन समस्या का तब ही हल मिलता है
चौड़ा सीना बहा पसीना इज्ज़त से जीना
पत्थर चीर के ही निर्मल जल मिलता है
बार बार गिर कर उठती है चींटी
उम्र की लगन को देख मुझे बल मिलता है
सब का मान करों पीछे ना छोड़ो कोई
देखा है कीचड़ में कमल मिलता है
सोते जागते सपने पालो होश संभालो
तब जाकर इतिहास का पल मिलता है।
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इस गहरी नींद से जगा मुझे
चाँद सूरज का दे पता मुझे
मैं थक गया हूँ चलते चलते
दिखा दे घर का रास्ता मुझे
चार दीवारें भी चुप हो गयीं
कोई ताजा ग़ज़ल सुना मुझे
मर गए ख्वाब पुराने सारे मिले
अब जीने की दुआ मुझे
मय-कदा छोड़ के जाऊँ कहाँ
दे मोहब्बत का नशा मुझे
लड़खड़ा के ना मिलेगी मंजिल
तू ही अब दे आसरा मुझे
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कल से अपना रिश्ता नाता तोड़ के बैठी है
पलकों में बरसों की बूँदे जोड़ के बैठी है
साँझ सवेरे करती थी सिंगार कभी
सच दिखलाता नाजुक शीशा तोड़ के बैठी है
जीवन में कुछ मोड़ अचानक आ जाते हैं
पहचानी गलियों से कदम मोड़ के बैठी है
सपनों की दुनिया में उड़ती फिरती थी
छूटे घर में टूटे सपने छोड़ के बैठी है
सूरज उगने पर डल जाते घोर अँधेरे
फिर से ताजा ख़्वाब की चादर ओढ़ के बैठी है।
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तेरी मोहब्बत का बेबाक नशा करते हैं
तेरे ही दिल में दिन रात बसा करते हैं
अजब दुनिया है असली चेहरा छुपा लेती है
कभी हम दूरी कभी मजबूरियों से डरते हैं
बात करने को बहुत कुछ धरा है दिल में मेरे
घड़ी की सुईयों से तकरार रोज़ करते हैं
तेरा चेहरा मेरी आँखों से दूर ना होगा
अब मेरे ख्वाब तेरी गलियों से गुज़रते हैं
कभी तो रंग लाएगी हमारी आशिकी
तेरी उल्फत से अपने दिल के खाके भरते हैं.
ना-उम्मीदी से कब मंजिलें हासिल होती
हर एक रूत में तेरा एतिबार करते हैं
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तुम ने ख्वाबों में आना छोड़ दिया
हम ने भी दिल लगाना छोड़ दिया
मुख्तसर हो गयीं खुशियाँ हमारी
सपनों का घर बनाना छोड़ दिया
आईना ताकता है आज मुझे
बेवजह मुस्कुराना छोड़ दिया
तेरी खिड़की जो बंद रहती है
गली में आना जाना छोड दिया
हक़ीक़त आँखें फाड़े बैठी है
मुकद्दर आजमाना छोड़ दिया
जमाने ने दिए है रोज़ ताने
और हमने जमाना छोड़ दिया।
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गहरा सागर शांत पड़ा है
उस की लहरों में शोर नहीं है
डूबते सूरज का दिल डूबा
जैसे रातों की भोर नहीं है
रोकने वाले बढ़ कर आये
दिल की पतंग की डोर नहीं है
छोड़ दी माझी ने उम्मीदें
नाव पुरानी छोर नहीं है
लोगों ने मेरा दिल लूटा
उन के जैसा चोर नहीं है
खुद पर सही कर भरोसा
तेरे जैसा और नहीं है।
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