Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी - bewafa shayari rekhta

बेवफाई गजल शायरी 

हर सच्ची मोहब्बत अधूरी तो नहीं
इश्क करने की आदत बुरी तो नहीं

हमने तुमको चाहा और बेहद चाहा
तुम भी हमको चाहो ज़रूरी तो नहीं

हवा दूर तक ले आती है खुशबू तेरी
 तुम हो मृग कोई कस्तूरी तो नहीं

रात खाली और दिन अंधेरा सा है
ये तुम से हिज़ की बे-नूरी तो नहीं

हमारी ग़ज़लों ने मशहूर किया तुमको
 यार हम से करो मगरूरी तो नहीं

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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 यूँही नहीं ये खालोपन मुझमें समाया होगा 
मैंने अपने अंदर क्या क्या दफनाया होगा

 अब मुझसे कहे भी नहीं जाते हालात मेरे 
शायद खामोशी पर मैंने एक उम्र को
बिताया होगा।

  क्या मुझे ढूँढने नहीं आया कोई अपना मेरा
   या खुद को मैंने बहुत एहतियात से छिपाया 
होगा।

   हुनर शब्दों का बहता हुआ कलम से उतर तो
     जाता है कहने में फिर वही बात क्यों कोई 
घबराया होगा।

साक्षी अब बयान कर दिया जाए क्या इस
घुटन को कितनी दफा जहन ने इस एक
सिफारिश को दोहराया होगा
Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी
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बेवफाई गजल शायरी


कोई साथ नहीं अब हमारे तो क्या
 हम भी तन्हा रात गुज़ारे तो क्या

तुम समझ लेते हाल-ए-दिल मेरा
बिछड़ते वक़्त नहीं पुकारे तो क्या

वक़्त गुज़र रहा शेर-ओ-शायरी में
 हम रहें बस इनके सहारे तो क्या

बैठ गए है ऊंचे ओहदे पर दोस्त 
हम रहें क़िस्मत के मारे तो क्या

तुम मुझे भूल जाओ ये मर्जी तेरी
पर हम रहेंगे सदा तुम्हारे तो क्या

अब हो गयी है इस हाल से मोहब्बत
 हम ख़ुद को नहीं सुधारे तो क्या।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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Suvichar Hindi  बालक का ह्रदय
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लिख देता हूँ अपने जज्बातों को कविता में, 
हर बात बोल के बताऊं जरूरी तो नहीं....

माना मुझसे भी होती हैं गलतियों,पर तुम्हारी
गलतियों पर भी मैं ही मनाऊ जरूरी तो नहीं...

बहुत वक़्त हो गया है तुमसे बात किए शायद
भूल चुके हो अब मुझे, पर मैं तुम्हें भूल जाऊं
 जरूरी तो नहीं....

तुम क्यों नहीं समझते बेइंतहा मोहब्ब्त हैं तुमसे, 
पर हर वक्त प्यार जताऊं जरूरी तो नहीं....

बहुत किया था तुमने भी मोहब्ब्त हमसे, पर 
हमारी इश्क की कहानियाँ सबको सुनाऊ 
  जरूरी तो नहीं...

मैं जानता हूँ अब खुश हो किसी और के साथ, 
पर मैं भी तुम्हारी जगह किसी और को लाऊं
  जरूरी तो नहीं....

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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पंछी से जुड़ी इंसान की कहानी
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सुना है शहर से सितमगर नहीं जा रहा 
   एक अरसे से मैं घर नहीं जा रहा

तुम भी जा रहे हो अब छोड़कर मुझे 
इस से अच्छा क्यों मैं मर नहीं जा रहा

फिर से लगता है टूट जाऊँगा मैं 
क्यों मेरे दिल से ये डर नहीं जा रहा

लिख रहा हूँ ग़म पर मैं तमाम ग़ज़लें
 किसी महफ़िल में मे शायर नहीं जा रहा

चाहता रहूँगा तुम्हें क़यामत तक भी
माना बात ये तेरे दिल के अंदर नहीं जा रहा।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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बदलते वक्त की रफ़्तार देख
 उठा पर्दा नया किरदार देख

कभी गाड़ी से निकल तू प्यारे
बिछा फुटपाथ पे ईमानदार देख

सब पै ऐसे ना भरोसा कर तू
बगल में छुपी हुई तलवार देख

 कहीं एहसान में हक है छुपा 
उन के एहसान की मिकदार देख

   किसी बद-कार ने भेजा है
फूल गुलों में लिपटा हुआ खार देख

मैं तेरे दर पे कब से बैठा हूँ 
मेरी पलकों में बसा प्यार देख।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी


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real-life struggle quotes
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  नींद अपने आप दीवाने तलक तो जा गई
 दोस्ती में धूप तहखाने तलक तो आ गई। 

      जाने अब कितना सफर बाकी बचा है
उम्र का जिंदगी उबले हुए खाने तलक तो आ गई।

देख ले जालिम शिकारी माँ की ममता देख ले 
  देख ले चिडिया तेरे दाने तलक तो आ गई।

अब हवा थी इस तरफ की या करम फरमाई ची
 जुल्फ उसकी कम से कम शाने तलक तो आ गई।

और कितनी ठोकरें खाएगी तू ऐ जिंदगी 
खुदकुशी करने को मपखाने तलक तो आ गई।

और कितनी गर्म जोशी चाहिए जज्बात में 
दुश्मनी की आँच दस्ताने तलक तो आ गई।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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कौन कहता है 
हम तबाह नहीं है

मेरी बर्बादी का बस
 कोई गवाह नहीं है।

सब देखते हैं 
मुझे मुस्कुराते हुए

क्योंकि रोने के लिए
 कोई जगह नहीं है।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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न दिल पे काबुन खुद पे है इख्तियार मुझे
तेरी जुदाई ने मेरी जो किया है तार-तार मुझे

कह दो इन फूलों से कि कहीं और जाके खिले
तेरे बगैर रास न आएगी ये फ़स्ल-ए-बहार मुझे

तेरी मध-भरी आँखों से क्या मिली मेरी आँखें 
समझने लगे हैं दुनिया वाले बादा- खवार मुझे

 तू तो ख़ुदा है हर चीज़ है तेरे इब्तियार में
कर कुछ तो ऐसा कि वो करने लगे प्यार मुझे

बात न होती थी तो तम्मना थी कि बात हो 
बात फिर ऐसी हुई कि कर गयी बेकरार मुझे

मैंने ठान ली थी जब तुझे दिल से भुलाने की 
तू और याद आया सर-ए-शाम बार बार मुझे

चांद था चाँदनी थी सितारे थे रोशनी थी
 तेरे बाद मगर मिलान कोई गम गुसार मुझे।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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  सब समझ गए मेरा हाल 
इनकार करना मुश्किल हो गया।

दिल की ज़िद्द थी मोहब्बत 
इलाज़ करना मुश्किल हो गया।

प्यार करना आसान था मगर 
इज़हार करना मुश्किल हो गया।

ना जाने क्या लिखा है किस्मत में 
पर इंतजार करना मुश्किल हो गया

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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  मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
अब इससे ज्यादा मैं और तेरा हो नहीं सकता।

दहलीज पर रख दी हैं किसी शख्स ने आँखें
 रौशन कभी इतना तो दिया हो नहीं सकता।

   बस तू मेरी आवाज से आवाज मिला दे
फिर देख कि इस शहर में क्या हो नहीं सकता।

 ऐ मौत तूने मुझे मुसीबत से निकाला 
सय्याद समझता था रिहा हो नहीं सकता।

पेशानी को सजदे भी अता कर मेरे मौला
आँखों से तो ये कर्ज अदा हो नहीं सकता।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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हादसों की जद पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें
जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें। 

तुमने मेरे घर न आने की कसम खाई तो है
आँसुओं से भी कहो आँखों से आना छोड़ दें।

प्यार के दुश्मन कभी तू प्यार से कहके तो देख 
इक तेरा दर ही क्या हम सारा जमाना छोड़ दें।

   घोंसले वीरान हैं अब वो परिंदे ही कहाँ
इक बसेरे के लिए जो आब ओ दाना छोड़ दें।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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मद्धम हुई तो और निखरती चली गई
जिंदा है एक याद जो मरती चली गई।

आए थे चंद जख्म गुजर गाह ए वक्त पर 
 गु जरी हवा ए वक्त तो भरती चली गई।

हम से यहाँ पे कुछ भी समेटा न जा सका
 हम से हर एक चीज बिखरती चली गई।

एक अश्क कहकहों से गुजरता चला गया 
एक चीख खामोशी में उतरती चली गई।

हर रंग एक रंग से हमरंग हो गया
तस्वीर जिंदगी की उभरती चली गई।

Bewafai Gazal shayari बेवफाई गजल शायरी

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दीवार याद आ गई दर याद आ गया
दो गाम ही चले थे कि घर याद आ गया।

कुछ कहना चाहते थे कि खामोश हो गए 
दस्तार याद आ गई सर याद आ गया।

दुनियाँ की बेरुखी का गिला कर रहे थे लोग
   हमको तेरा तपाक नगर याद आ गया।

  फिर तीरगी-ए-राहगुजर याद आ गई 
फिर वो चराग-ए-राहगुजर याद आ गया।

'अजमल सिराज' हम उसे भूले हुए तो हैं।
 क्या जानें क्या करेंगे अगर याद आ गया।
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इस भरी दुनिया में बस थोड़ी कमी है प्यार 
  की दोस्त बेशुमार पर कमी एतिबार की

चार दीवारों और छत से थोड़ी हिफाजत मिले
खलल जब रिश्तों में हो, कमी हो परिवार की

कोई तकता है तेरी राह सूनी आँखों से 
उसके जीवन में लगे कमी सायादार की

मेरी दरियादिली तेरे काम तो आयी कभी
 मैं ना चाहूँ तू बिताये जिंदगी उधार की

ना तो मैं कमजोर है और ना ही भोला भाला हूँ
मुझ को पर आदत नहीं बेकार के अधिकार की

काफी गुजर गयी है अब बाकी भी गुजर जाएगी.
मुझ को रहे तलाश इस जहाँ में जाँ निसार की
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